कोरोना से मरने वालों को दफनाने के लिए सऊदी अरब ने जारी की गाइड लाइन

कोरोना से मरने वालों को दफनाने के लिए सऊदी अरब ने जारी की गाइड लाइन

सऊदी अरब में, नेशनल सेंटर फॉर इंफेक्शियस 'वकाय़ा', ने कोरोना वायरस से मरने वालों के गुसुल और दफनाने की विधि के लिए एक पैम्फलेट जारी किया है।
अखबार 24 के अनुसार, पैम्फलेट में कहा गया है कि अभी तक कोरोना वायरस से मरने वालों के गुसुल, कफ़नाने और दफनाने का सारा काम विशेष टीमें कर रही हैं। विशेष केंद्रों की सूची जारी की जाएगी।
ये केंद्र सऊदी अरब के सभी क्षेत्रों में स्थित होंगे, कब्रिस्तान भी बताई जाएंगी कि किस कब्रिस्तान में कोरोना के मरीजों को दफन किया जाएगा। याद रहे कि कोरोना से मरने वालों के लिए विशेष कब्रिस्तान की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन दफनाने की विधि एक आम दफ़नाने की विधि से अलग होगी। किया आप जानते हैं  सिगरेट पीने वाला कोरोना वायरस का जल्द शिकार हो सकता है

कब्रिस्तान के बारे में यह भी ध्यान में रखा जाएगा कि यदि मरने वालों की संख्या अधिक होती  है, तो कब्रिस्तान को और बढ़ा दिया जाएगा।
"वकाया" ने स्थानीय नागरिकों और विदेशियों से कहा है कि अस्पताल से मृतकों के देने कि विधि निर्धारित की जाएगी।
दफनाने से पहले नमाज़ जनाज़ा के लिए विशिष्ट मस्जिदों के इमाम होंगे। उन्हें भी इस बारे में सूचित किया जाएगा। ट्रेंडिंग निजी कंपनियां विदेशियों को छुट्टी पर भेज सकती हैं 😢😢😢
उस पैम्फलेट में बताया गाय है की कोरोना से मरने वाले के गुसुल का काम मुख्य रूप से अस्पताल में किया जाएगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो मैयत को प्रशिक्षित केंद्रों में भेज दिया जाएगा।
बॉडी को लेजाने वाला विभाग मेडिकल मास्क, दस्ताने और स्पेशल कपड़े पहनकर इस कार्य को करेगा। मैयत (शव) को ट्रांसफर या गुसुल के बाद कर्मचारियों को निर्देश दिया जाएगा कि वह कम से कम चालीस सेकंड के लिए अपने हाथों को साफ करें।
मैयत (शव ) को वाटर प्रूफ बैग में रखा जाएगा। ये बैग ऐसे होंगे जिन से कोई तरल पदार्थ नहीं निकल सकेगा।
नेशनल सेंटर "वक़ाया" ने इस बात पर जोर दिया है कि कोरोना वायरस से मरने वालों का पोस्टमार्टम बहुत ही जरूरी हो तभी किया जाएगा, और यह प्रक्रिया बहुत ही कम होगी।
अगर मृतक के शरीर पर कोई घाव है तो मेडिकल बैंडेज लगा कर पोस्टमार्टम की कार्रवाई होगी।
मृतक के परिजनों को मैयत (शव) से किस तरह पेश आया जाए इस के लिए आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे। ट्रेंडिंग इक़ामे में किसी शुल्क के बिना ही 3 महीने की वृद्धि
उन्हें मृतक को छूने या चुंबन लेने से मना किया जाएगा, लाश अस्पताल से मस्जिद और कब्रिस्तान प्रशिक्षित व्यक्ति लाएँगे।
गाइड पैम्फलेट में आगे कहा गया है कि गुसुल देने, कफ़नाने और मैयत (शव) को ले जाने वालों की संख्या बहुत कम हो होगी । जहां इस प्रकार के गुसुल दिये जाएंगे। वहाँ एंटीबायोटिक दवा का स्प्रे किया जाएगा।
केवल वह लोग जो सुरक्षा नियमों का पालन करेंगे दफन की पर्किर्या में भाग ले सकेंगे उन्हें दफनाने के समय भीड़ भाड़ की अनुमति नहीं दी जाएगी।

याद रहे कि सऊदी अरब में विदेशियों और सऊदी नागरिकों के बीच यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या कोरोना वायरस से मरने वालों को गुसुल देने और दफन करने से वायरस लग सकता है ?
अल-अरबिया नेट के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद अल-अब्द आली ने सवाल का जवाब देते होए कहा कि सब से पहले यह बात याद रखें कि मृतक का सम्मान सऊदी कानूनों और निर्देशों के अनुसार मृत्यु के क्षण से दफन तक अनिवार्य है।
सऊदी अरब में यह सभी स्तरों पर और हर मरहले पर इसकी पाबंदी की जाती है और आगे भी  ऐसा करना जारी रखा जाएगा।
मुहम्मद अल-अब्द आली ने कहा कि जहां तक ​​कोरोना से प्रभावित लोगों को गुसुल देने की बात है तो यह प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा किया जाता है।
उन्होंने कहा कि मृतक को गुसुल देने का उद्देश्य शरीर पर मौजूद किसी भी प्रकार कि गंदगी को उचित तरीके से साफ करना है।
प्रवक्ता के अनुसार यह संभावना है कि वायरस किसी चीज़ के जरिये किसी अन्य व्यक्ति को लग जाए, यही कारण है कि इसे बहुत ही अच्छी तरह से साफ किया जाता है। ट्रेंडिंग अब्शिर के बिना अपने इक़ामा की अंतिम तारीख (Expiry Date) कैसे चेक करें ?
गुसुल के बाद, संभावित तौर पर घातक वायरस से छुटकारा पाने के लिए कार्रवाई की जाती है।
प्रवक्ता ने आश्वासन दिया कि कोरोना से संक्रमित लाशें नहलाने, दफनाने के बाद कोरोना से पाक हो जाती है और फिर वायरस के ट्रान्सफर होने का कोई खतरा नहीं होता है।


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