भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध मज़बूत करने के लिए जारी संयुक्त बयान के एक दिन बाद, पाकिस्तान ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। इस्लामाबाद ने कहा कि बयान में जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा बताना “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन” है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसकी “गंभीर आपत्तियाँ” भारत और अफगानिस्तान के संयुक्त बयान तथा तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताक़ी की भारत यात्रा के दौरान दिए गए बयानों पर हैं। मंत्रालय ने बताया कि अपनी आपत्तियाँ उसने अतिरिक्त विदेश सचिव (पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान) को औपचारिक रूप से सौंप दी हैं।
भारत-अफगान संयुक्त बयान
10 अक्टूबर को जारी इस बयान में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान का धन्यवाद किया कि उसने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी, की कड़ी निंदा की। दोनों देशों ने एक स्वर में क्षेत्रीय आतंकवाद की निंदा करते हुए शांति, स्थिरता और आपसी विश्वास को बढ़ावा देने की बात कही।
पाकिस्तान की आपत्तियाँ
पाकिस्तान ने मुत्ताक़ी के उन बयानों पर भी ऐतराज़ जताया, जिनमें उन्होंने कहा था कि आतंकवाद पाकिस्तान का आंतरिक मामला है। इस्लामाबाद का कहना है कि उसने अफगानिस्तान को उन आतंकी तत्वों की जानकारी दी थी जो अफगान ज़मीन से पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सक्रिय हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा, “पाकिस्तान पर आतंकवाद नियंत्रण की ज़िम्मेदारी डालने से अंतरिम अफगान सरकार अपनी जवाबदेही से मुक्त नहीं हो सकती। क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना उसकी ज़िम्मेदारी है।”
मुत्ताक़ी का जवाब
इससे एक दिन पहले मुत्ताक़ी ने अफगानिस्तान में हुए कई धमाकों की निंदा करते हुए कहा था कि इसके लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार है। उन्होंने कहा, “हम पाकिस्तान की इस कार्रवाई को ग़लत मानते हैं। समस्याओं का हल बातचीत से होना चाहिए... अफगानिस्तान में 40 साल बाद शांति और प्रगति आई है।”
भारत-अफगान मुलाक़ात
यह मुलाक़ात 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के बीच हुई पहली उच्चस्तरीय कूटनीतिक बैठक थी। मुत्ताक़ी ने दिल्ली में एस. जयशंकर से मुलाक़ात की और आश्वासन दिया कि अफगान भूमि किसी देश के ख़िलाफ़ इस्तेमाल नहीं होगी।
उन्होंने कहा, “दिल्ली आकर खुशी हुई। यह यात्रा भारत और अफगानिस्तान के बीच समझ बढ़ाएगी। हमें आपसी सहयोग और संवाद बढ़ाना चाहिए।”
मुत्ताक़ी की यह यात्रा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति से अस्थायी यात्रा छूट मिलने के बाद हुई।
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